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रिकॉर्ड्स मूल्यांकन (आरए)

यथा अधिदेशित प्रत्‍येक अभिलेख सृजक एजेंसी विभिन्‍न कार्यक्रमों तथा नीतियों के अनुसरण में बहुत बड़ी मात्रा में अभिलेख उत्‍पन्‍न करती हैं, परन्‍तु स्‍वत: स्‍पष्‍ट है कि इस प्रकार उत्‍पन्‍न किया गया सारा अभिलेख प्रतिधारित नहीं किया जा सकता। इसलिए हमें अभिलेख के ''चुनींदा प्रतिधारण'' का आश्रय लेना पड़ा। मूल्‍यांकन की प्रक्रिया को एक वस्‍तुपरक ढंग से सम्‍पन्‍न किया जाना है।

अभिलेख का मूल्‍यांकन

यह अभिलेखों की वर्तमान प्रशासनिक, विधायी तथा राजकोषीय उपयोग के साथ-साथ इनके साक्ष्‍यात्‍मक, सूचनात्‍मक और अभिलेख के आंतरिक मूल्‍य के आधार पर अभिलेख के महत्‍व को पता करने की प्रक्रिया है। यह कार्य अभिलेखीय पेशेवरों के द्वारा 25 वर्षों से अधिक पुराने अभिलेखों/मिसिलों के विषय में निष्‍पादित किया जाता है। मूल्‍यनिरूपण राष्‍ट्रीय अभिलेखागार के सहयोग से किया जाने वाला सार्वजनिक अभिलेखों का एक मूल्‍यांकन है। महानिदेशक अभिलेखागार को लोक अभिलेख अधिनियम, 1993 की धारा 3(2) तथा लोक अभिलेख नियम, 1997 के नियम 5 के अधीन स्‍थायी प्रकृति के अभिलेख के मूल्‍यनिरूपण तथा इसे जमा करने के लिए स्‍वीकार करने हेतु भी अधिकृत किया हुआ है।

अभिलेख अधिकारी नियम 5(2) के तहत वर्ष के दौरान मूल्‍यनिरूपण के लिए नियत स्‍थायी प्रकृति के सभी लोक अभिलेखों के विवरणों को प्रपत्र-1 (लिंक [1]) में भरकर प्रत्‍येक वर्ष 31 जनवरी की तारीख से पूर्व अभिलेखागार के महानिदेशक या प्रमुख, जैसा भी मामला हो, को भेज देगा।

विभागीय अभिलेख अधिकारी लोक अभिलेख अधिनियम, 1993 की धारा 6(1( (ग) में निरूपित किए गए अनुसार राष्‍ट्रीय अभिलेखागार के परामर्श से, पच्‍चीस वर्ष से अधिक पुराने लोक अभिलेख का मूल्‍य निरूपित करने के लिए जिम्‍मेदार है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि स्‍थायी प्रकृति के अभिलेख की पहचान निश्चित करने के पश्‍चात् इसे वैज्ञानिक तरीके से परिरक्षित करने हेतु राष्‍ट्रीय अभिलेखागार में स्‍थानांतरित किया जा सके।

आगे, केन्‍द्रीय सचिवालय कार्यालय पद्धति नियमपुस्तिका (के.स.का.प.नि.) (2010 का 13वां संस्‍करण) का अनुच्‍छेद 112 निर्दिष्‍ट करता है कि [अनुच्‍छेद 113(3)] अपने जीवनकाल के 25वें वर्ष में पुनरीक्षण के बाद बची अवशिष्‍ट 'क' तथा 'ख' श्रेणी की फाइलों (के.स.का.प.नि. का परिशिष्‍ट - 25) पर 'रा.अ. को स्‍थानांतरित' की सुस्‍पष्‍ट मोहर लगा दी जाएगी और राष्‍ट्रीय अभिलेखागार की शरण में भेज दी जाएगी।

विभिनन मंत्रालयों/विभागों आदि से फरवरी 2010 से मई, 2016 तक का स्‍थानांतरण अभिलेख (लिंक) 

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Links:
[1] http://nationalarchives.nic.in/sites/default/files/06Form1Hindi_0.pdf