कंप्यूटरीकरण
''अभिलेखीय सूचना प्रबंधन प्रणाली (एम्स-'' नामक साफ्टवेयर की मदद से ''ऑटोमेटेड रिट्रिवल सिस्टबम'' के लिए एक कम्यूू टीकरण और डिजिटलीकरण कार्यक्रम 1998 में शुरू किया गया था जिसमें अभिलेखों के मीडिया संदर्भ को तैयार करने का कार्य शुरू किया गया था जिसमें निम्नंलिखित श्रृंखला शामिल है - होम पब्लिक (1748-1859), होम (पोलिटिकल) (1907-68) फॉरेन एंड पोलिटिकल डिपार्टमेंट (1860-1946), विदेश मंत्रालय (1947-1970) और मिनिस्ट्री ऑफ स्टे6ट (1947-1953) इत्याैदि।
माननीय संस्कृ ति मंत्री महोदय द्वारा 125वें स्थायपना दिवस के अवसर पर 11 मार्च 2015 को www.Abhilekh-patal.in(बाह्य लिंक) नामक एक सर्च वेब पोर्टल शुरू किया गया ताकि इंटरनेट पर विद्वानों और प्रयोक्ताtओं को समृद्ध अभिलेखीय विरासत उपलब्धए कराई जा सके। इसमें एम्सग में सृजित 26,000 लाख अभिलेखों का संदर्भ मीडिया समाहित किया गया है। विभाग ने ई-भुगतान गेटवे के कार्यान्वकयन के साथ डीओडी (डिजिटल ऑन डिमांड) की प्रक्रिया आरंभ की है। विभाग में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 23 जनवरी 2016 को नेताजी सुभाष चन्द्र से संबंधित विवर्गीकृत फाइलों के लिए www.netajipapers.gov.in (बाह्य लिंक) नामक सर्च पोर्टल भी लांच किया गया है।
विभाग ने ''लिब्सिस'' सॉफ्टवेयर में ग्रंथालय पुस्तैकें के संदर्भ मीडिया का भी कम्यू्टल टरीकरण किया है। यह विभाग के इंट्रानेट पर अध्येयताओं के प्रयोग हेतु उपलब्धु है। अब शीघ्र ही ''लिब्सिस'' साफ्टवेयर के स्थांन पर नवीनतम साफ्टवेरयर (जिसमें कई नवीनतम विशेषताएं हैं) लाया जायेगा।
ई-अभिलेखों का डिजिटल परिरक्षण :
जून 2011 में राष्ट्री य अभिलेखागार ने इलेक्ट्र निक अभिलेखों के डिजिटल परिरक्षण हेतु संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत सी-डैक, नई दिल्लीक के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्तारक्षर किए।
इस परियोजना के अंतर्गत, राष्ट्री य अभिलेखागार भारत सरकार के विभिन्नश मंत्रालयों/विभागों में इलेक्ट्र निक रूप से सृजित अभिलेखों की देखभाल के लिए लोक अभिलेख अधिनियम, 1993 के अधिदेशानुसार अपनी डिजिटल परिरक्षण क्षमताएं विकसित करने में सक्षम होगाद्य इस संयुक्तन उद्यम से राष्ट्री य अभिलेखागार अभिलेखाधिकारियों और अभिलेख पालकों जिन्हेंन इलेक्ट्र निक अभिलेखों के प्रबंधन के लिए अपने कौशल को अद्यतन किए जाने की आवश्यिकता है, को प्रशिक्षित करने के लिए डिजिटल परिरक्षण पर एक पाठ्य क्रम भी तैयार कर रहा है। यह परियोजना 31 मार्च 2017 को समाप्ति हुई।